White विचारों का युद्ध
मन के भीतर शोर मचता,
ख्यालों का तूफान है चलता।
ध्यान की किरने, संशय के बादल,
मन के द्वार पर चलती हलचल।
सपनों की तलवारें चमकती,
संशय की रेखा धुंधली जाती।
आशा की दीवारें सुदृढ़ खड़ी,
भय की लहरें करती चढ़ाई।
सच और झूठ का होता संवाद,
मन के भीतर चलता विवाद।
कौन है सच्चा, कौन भ्रमित,
इस युद्ध में सब है नियंत्रित।
शांति का संदेश पास है आता,
लेकिन हर विचार निशान छोड़ जाता।
युद्ध ये नीरव, पर गहरा,
सोचों का संग्राम है चिरस्थिर और ठहरा।
©Arjun Negi
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