Arjun Negi

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White छोड़ता हूँ तुझे, इस दिल के अंधेरे कोने में, जहाँ यादें जगमगाएँगी, तन्हाईयों के सोने में। जुड़ा हूँ तुझसे, मगर राहें दूर हो जाएँगी, तेरी मुस्कान में बसी मेरी छवि रह जाएगी। सपनों की चादर पर बुनता था तेरी सूरत, अब उस चादर को समेट रहा हूँ धीरे-धीरे, तेरी याद का इत्र रहेगा सांसों में रचा-बसा, मगर हकीकत में तुझसे दूर जा रहा हूँ धीरे-धीरे। तू मेरी रूह का वो अनकहा गीत थी, जिसे मैंने अपनी सांसों से सजाया था, पर आज तुझे विदा कर रहा हूँ उस आहट से, जो बस मेरे ख्वाबों की सहर में बसाया था। तू रहेगी हर धड़कन में, हर गूंज में बसी, मगर इस बंधन को छोड़ रहा हूँ, बस यादों में सजी। रहूँगा तेरे हर लम्हे में, जैसे परछाईं हूँ तेरी, पर इस दूरी में ही मेरे इश्क़ की सच्चाई है खड़ी। इस चाहत का बीज दिल में दबाए रखा है, तू खिलना चाहे तो हर फूल में पनाह पाएगी, मेरी परछाईं बनके तेरी राहों में बसी रहेगी, पर पास आऊँ तो तू मुझसे दूर हो जाएगी। तेरी आँखों में खुद को देखना छोड़ दूँगा, मगर यादों की बारिश में भीगने का हक़ तेरा है, जुड़ा हूँ तुझसे, पर तेरा न हो सका कभी, अब तेरी हर याद में बसा, बस एक सपना रहूँगा। ©Arjun Negi

#northernlights #longdistance #Uttarakhand #Sad_Status #santorini  White छोड़ता हूँ तुझे, इस दिल के अंधेरे कोने में,  
जहाँ यादें जगमगाएँगी, तन्हाईयों के सोने में।  
जुड़ा हूँ तुझसे, मगर राहें दूर हो जाएँगी,  
तेरी मुस्कान में बसी मेरी छवि रह जाएगी।  

सपनों की चादर पर बुनता था तेरी सूरत,  
अब उस चादर को समेट रहा हूँ धीरे-धीरे,  
तेरी याद का इत्र रहेगा सांसों में रचा-बसा,  
मगर हकीकत में तुझसे दूर जा रहा हूँ धीरे-धीरे।  

तू मेरी रूह का वो अनकहा गीत थी,  
जिसे मैंने अपनी सांसों से सजाया था,  
पर आज तुझे विदा कर रहा हूँ उस आहट से,  
जो बस मेरे ख्वाबों की सहर में बसाया था।  

तू रहेगी हर धड़कन में, हर गूंज में बसी,  
मगर इस बंधन को छोड़ रहा हूँ, बस यादों में सजी।  
रहूँगा तेरे हर लम्हे में, जैसे परछाईं हूँ तेरी,  
पर इस दूरी में ही मेरे इश्क़ की सच्चाई है खड़ी।  

इस चाहत का बीज दिल में दबाए रखा है,  
तू खिलना चाहे तो हर फूल में पनाह पाएगी,  
मेरी परछाईं बनके तेरी राहों में बसी रहेगी,  
पर पास आऊँ तो तू मुझसे दूर हो जाएगी।  

तेरी आँखों में खुद को देखना छोड़ दूँगा,  
मगर यादों की बारिश में भीगने का हक़ तेरा है,  
जुड़ा हूँ तुझसे, पर तेरा न हो सका कभी,  
अब तेरी हर याद में बसा, बस एक सपना रहूँगा।

©Arjun Negi

White **जब तुम लौट आई हो** जब तुम लौट आई हो, मैं टूटा हुआ था, बेवजह मुस्कानों का खंडहर सा छूटा हुआ था। तुम्हें देख के मन में लहरें उठीं, पुरानी बातें थरथराईं, पर सोचा कहाँ थीं तुम, जब अंधेरों ने राहें समाई। वो बिछड़ने का मंजर याद है या भुला दिया, तुमने मेरे दर्द को किस बेरुखी से सजा दिया। मैं गहरी रातों में जलता रहा, अकेला और वीरान, और तुम अनजान राहों पर चलती रहीं, बेअलगान। अब जब आई हो तो सब ठहर गया है जैसे, पुरानी पत्तियों पर ओस गिरी हो, छांव से। पर ये सवाल बाकी है—तुम क्यों गई थी छोड़कर, किस इंतजार में थीं तुम, मुझसे मुंह मोड़कर? समझ न सका ये लौटना अब क्या कहता है, क्या ये एक नई शुरूआत है या भ्रम का रस्ता है। क्योंकि जब गिरा था मैं, सिर्फ़ मेरी परछाईं थी पास, अब जब खड़ा हूँ, तो तुमने लौटाया है एहसास। तो ये मेरा सवाल है, जवाब चाहे दिल से दो, कहाँ थीं तुम, जब दिल ने पुकारा था, चुपके से रो। अब आए हो, तो क्या सच में लौट आई हो, या बस पुराने ख्वाबों में एक याद बनकर छाई हो? ©Arjun Negi

#uttrakhand #good_night #love❤️ #healing #Chamoli  White **जब तुम लौट आई हो**

जब तुम लौट आई हो, मैं टूटा हुआ था,  
बेवजह मुस्कानों का खंडहर सा छूटा हुआ था।  
तुम्हें देख के मन में लहरें उठीं, पुरानी बातें थरथराईं,  
पर सोचा कहाँ थीं तुम, जब अंधेरों ने राहें समाई।

वो बिछड़ने का मंजर याद है या भुला दिया,  
तुमने मेरे दर्द को किस बेरुखी से सजा दिया।  
मैं गहरी रातों में जलता रहा, अकेला और वीरान,  
और तुम अनजान राहों पर चलती रहीं, बेअलगान।

अब जब आई हो तो सब ठहर गया है जैसे,  
पुरानी पत्तियों पर ओस गिरी हो, छांव से।  
पर ये सवाल बाकी है—तुम क्यों गई थी छोड़कर,  
किस इंतजार में थीं तुम, मुझसे मुंह मोड़कर?

समझ न सका ये लौटना अब क्या कहता है,  
क्या ये एक नई शुरूआत है या भ्रम का रस्ता है।  
क्योंकि जब गिरा था मैं, सिर्फ़ मेरी परछाईं थी पास,  
अब जब खड़ा हूँ, तो तुमने लौटाया है एहसास। 

तो ये मेरा सवाल है, जवाब चाहे दिल से दो,  
कहाँ थीं तुम, जब दिल ने पुकारा था, चुपके से रो।  
अब आए हो, तो क्या सच में लौट आई हो,  
या बस पुराने ख्वाबों में एक याद बनकर छाई हो?

©Arjun Negi

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8 Love

White बिछड़ने की वजह" मैं था बसंत का इक फूल खिला, तेरी राहों में खुशबू सा मिला। मगर जड़ें मेरी कमज़ोर थीं, सूखी मिट्टी से चिपकी, बेजोर थीं। मैं इक सूखा दरिया, एक बेजान परिंदा, खो चुका अपनी राह, बेसहारा सा जिन्दा। कभी था मैं बाग़, हरियाली की तरह, अब हूँ सिर्फ़ एक परछाईं, बेजान सी क़ब्र। तू है सवेरा, उजाला, नर्म धूप का एहसास, और मैं अंधेरा, डूबता, टूटता सा विश्वास। तेरी रोशनी का भार मैं न सह पाऊँगा, एक जंगली पौधा बन के, खुद को ही खो जाऊँगा। इसलिए छोड़ चला, बेवफ़ाई नहीं है ये, बस मेरा ही दर्द है, जो मुझे घेरे है। तू खिल, बस महकना, बिन मेरी बेड़ियाँ— जैसे सर्दियों में, कली खिली बग़ैर खामियाँ। ©Arjun Negi

#Uttarakhand #Sad_Status #Chamoli  White बिछड़ने की वजह"

मैं था बसंत का इक फूल खिला,
तेरी राहों में खुशबू सा मिला।
मगर जड़ें मेरी कमज़ोर थीं,
सूखी मिट्टी से चिपकी, बेजोर थीं।

मैं इक सूखा दरिया, एक बेजान परिंदा,
खो चुका अपनी राह, बेसहारा सा जिन्दा।
कभी था मैं बाग़, हरियाली की तरह,
अब हूँ सिर्फ़ एक परछाईं, बेजान सी क़ब्र।

तू है सवेरा, उजाला, नर्म धूप का एहसास,
और मैं अंधेरा, डूबता, टूटता सा विश्वास।
तेरी रोशनी का भार मैं न सह पाऊँगा,
एक जंगली पौधा बन के, खुद को ही खो जाऊँगा।

इसलिए छोड़ चला, बेवफ़ाई नहीं है ये,
बस मेरा ही दर्द है, जो मुझे घेरे है।
तू खिल, बस महकना, बिन मेरी बेड़ियाँ—
जैसे सर्दियों में, कली खिली बग़ैर खामियाँ।

©Arjun Negi

White विचारों का युद्ध मन के भीतर शोर मचता, ख्यालों का तूफान है चलता। ध्यान की किरने, संशय के बादल, मन के द्वार पर चलती हलचल। सपनों की तलवारें चमकती, संशय की रेखा धुंधली जाती। आशा की दीवारें सुदृढ़ खड़ी, भय की लहरें करती चढ़ाई। सच और झूठ का होता संवाद, मन के भीतर चलता विवाद। कौन है सच्चा, कौन भ्रमित, इस युद्ध में सब है नियंत्रित। शांति का संदेश पास है आता, लेकिन हर विचार निशान छोड़ जाता। युद्ध ये नीरव, पर गहरा, सोचों का संग्राम है चिरस्थिर और ठहरा। ©Arjun Negi

#Uttarakhand #thoughwar #Chamoli #poems  White  विचारों का युद्ध

मन के भीतर शोर मचता,  
ख्यालों का तूफान है चलता।  
ध्यान की किरने, संशय के बादल,  
मन के द्वार पर चलती हलचल।  

सपनों की तलवारें चमकती,  
संशय की रेखा धुंधली जाती।  
आशा की दीवारें सुदृढ़ खड़ी,  
भय की लहरें करती चढ़ाई।  

सच और झूठ का होता संवाद,  
मन के भीतर चलता विवाद।  
कौन है सच्चा, कौन भ्रमित,  
इस युद्ध में सब है नियंत्रित।  

शांति का संदेश पास है आता,  
लेकिन हर विचार निशान छोड़ जाता।  
युद्ध ये नीरव, पर गहरा,  
सोचों का संग्राम है चिरस्थिर और ठहरा।

©Arjun Negi

White तुम्हारी यादें उस हवा की तरह हैं, जो हर पल दिल के दरवाजे पर दस्तक देती रहती हैं। जैसे वीराने में कोई पत्ता बार-बार खड़खड़ाता हो, तुम्हारी कमी का एहसास बार-बार कराता हो। जैसे सूने रास्ते पर दूर से आती पायल की झंकार, जो पास नहीं आती, बस इंतज़ार को लंबा करती जाती है। हर सरसराहट, हर आहट में तुम ही हो, जैसे ख़ामोशी भी तुम्हारा नाम दोहराती है। ©Arjun Negi

#good_night  White तुम्हारी यादें उस हवा की तरह हैं,
जो हर पल दिल के दरवाजे पर दस्तक देती रहती हैं।
जैसे वीराने में कोई पत्ता बार-बार खड़खड़ाता हो,
तुम्हारी कमी का एहसास बार-बार कराता हो।

जैसे सूने रास्ते पर दूर से आती पायल की झंकार,
जो पास नहीं आती, बस इंतज़ार को लंबा करती जाती है।
हर सरसराहट, हर आहट में तुम ही हो,
जैसे ख़ामोशी भी तुम्हारा नाम दोहराती है।

©Arjun Negi

#good_night

6 Love

White रात का आलम गहरा है, चांद भी है खोया, उसकी यादें आती हैं, मन को किया भिगोया। सितारों की चमक में भी, उसकी कमी महसूस हो, उसके बिना ये सन्नाटा, कितना तन्हा और खोखला हो। उसकी हँसी की खनक, जैसे कोई मीठी लहर, अब रात में उसकी यादें, करती हैं मुझे बेकरार। हर पल उसका साथ था, अब है सिर्फ ख़ामोशी, उसकी मौजूदगी का एहसास, अब बन गई है रोशनी। बिना उसके ये रातें, लगती हैं वीरान, दिल को उसकी चाहत, हर रात करती है परेशान। रात की चादर में लिपटी, उसकी यादें आती हैं, उसकी कमी को महसूस कर, आँखें मेरी भर जाती हैं। ©Arjun Negi

#Uttarakhand #Night #Peom  White 
रात का आलम गहरा है, चांद भी है खोया,
उसकी यादें आती हैं, मन को किया भिगोया।

सितारों की चमक में भी, उसकी कमी महसूस हो,
उसके बिना ये सन्नाटा, कितना तन्हा और खोखला हो।

उसकी हँसी की खनक, जैसे कोई मीठी लहर,
अब रात में उसकी यादें, करती हैं मुझे बेकरार।

हर पल उसका साथ था, अब है सिर्फ ख़ामोशी,
उसकी मौजूदगी का एहसास, अब बन गई है रोशनी।

बिना उसके ये रातें, लगती हैं वीरान,
दिल को उसकी चाहत, हर रात करती है परेशान।

रात की चादर में लिपटी, उसकी यादें आती हैं,
उसकी कमी को महसूस कर, आँखें मेरी भर जाती हैं।

©Arjun Negi
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