अगर तुम खुद्दार हो तो अपनी खुद्दारी की कीमत बताओ, | हिंदी कविता

"अगर तुम खुद्दार हो तो अपनी खुद्दारी की कीमत बताओ, मैंने सुना है आज कल स्कूल में सब बिकता है मैं उसे खरीदना चाहूंगा। मुझे पता है यहां गरीबों की गरीबी बिकती है, बच्चो के सपने ही नहीं उनके मां बाप के अरमान बिकते है। कॉपी किताबो तक तो ठीक था, यहां तो वफादारों की वफादारी बिकती है। मान बिकता है अभिमान बिकता है, यहां तो टीचर का सम्मान बिकता है। किसी ने सही ही कहा है, आज कल स्कूल में सब बिकता है। ©Ashish Yadav"

 अगर तुम खुद्दार हो तो अपनी खुद्दारी की कीमत बताओ,
मैंने सुना है आज कल स्कूल में सब बिकता है मैं उसे खरीदना चाहूंगा।
मुझे पता है यहां गरीबों की गरीबी बिकती है,
 बच्चो के सपने ही नहीं उनके मां बाप के अरमान बिकते है।
कॉपी किताबो तक तो ठीक था,
 यहां तो वफादारों की वफादारी बिकती है।
मान बिकता है अभिमान बिकता है,
यहां तो टीचर का सम्मान बिकता है।
किसी ने सही ही कहा है,
आज कल स्कूल में सब बिकता है।

©Ashish Yadav

अगर तुम खुद्दार हो तो अपनी खुद्दारी की कीमत बताओ, मैंने सुना है आज कल स्कूल में सब बिकता है मैं उसे खरीदना चाहूंगा। मुझे पता है यहां गरीबों की गरीबी बिकती है, बच्चो के सपने ही नहीं उनके मां बाप के अरमान बिकते है। कॉपी किताबो तक तो ठीक था, यहां तो वफादारों की वफादारी बिकती है। मान बिकता है अभिमान बिकता है, यहां तो टीचर का सम्मान बिकता है। किसी ने सही ही कहा है, आज कल स्कूल में सब बिकता है। ©Ashish Yadav

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