जिसके बिना जीना एक पल मुनासिब नहीं था मैंने उसके

"जिसके बिना जीना एक पल मुनासिब नहीं था मैंने उसके बिना भी ज़िन्दगी गुज़ारी है मुद्दत से जिसे सिर्फ प्यार समझती थी किसी रोज खबर मिली वो सिर्फ एक बीमारी है तुम बेक़सूर नहीं मगर गलती तो सिर्फ हमारी है एक दफा सुना था इस जुर्म की सजा बड़ी भारी है टूट गई थी कभी तेरे जाने से 'सौम्या' आज लगा तेरे बिना जीने में ही समझदारी है - सौम्या जैन 🥀"

 जिसके बिना जीना एक पल मुनासिब नहीं था 
मैंने उसके बिना भी ज़िन्दगी गुज़ारी है 

मुद्दत से जिसे सिर्फ प्यार समझती थी 
किसी रोज खबर मिली वो सिर्फ एक बीमारी है 

तुम बेक़सूर नहीं मगर गलती तो सिर्फ हमारी है 
एक दफा सुना था इस जुर्म की सजा बड़ी भारी है

टूट गई थी कभी तेरे जाने से 'सौम्या'
आज लगा तेरे बिना जीने में ही समझदारी है


 - सौम्या जैन 🥀

जिसके बिना जीना एक पल मुनासिब नहीं था मैंने उसके बिना भी ज़िन्दगी गुज़ारी है मुद्दत से जिसे सिर्फ प्यार समझती थी किसी रोज खबर मिली वो सिर्फ एक बीमारी है तुम बेक़सूर नहीं मगर गलती तो सिर्फ हमारी है एक दफा सुना था इस जुर्म की सजा बड़ी भारी है टूट गई थी कभी तेरे जाने से 'सौम्या' आज लगा तेरे बिना जीने में ही समझदारी है - सौम्या जैन 🥀

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