कभी कभी हम किसी की याद में, अपने किसी जज़्बात में,
अधूरे प्यारे से ख्वाब में, टूटे हुए सरताज में, बहकती हुई सांस में,
तड़पती हुई आस में, समुंदर की प्यास में, गूंजती हुई आवाज़ में,
कुछ इस तरह खो जाते हैं कि हमारा वहाँ से निकलना थोड़ा
मुश्किल हो जाता है और इसके चलते हमारे आसपास क्या
चल रहा है हमें खबर तक नहीं होती या यूँ कहें, हमें इस दुनिया
से फर्क ही नहीं पड़ता।
हमारी सांसे तो चलती हैं लेकिन ज़िन्दगी कहीं रुक सी जाती है।
हमारी कोशिश कुछ पाने की नहीं बस खुद को खोने की होती है
कुछ पल के लिए ही नहीं उम्र भर सोने की होती है।
और फिर,, हम एक अलग दुनिया में चले जाते हैं 'सुकून की
दुनिया में', जहाँ से लौटना हमारे बस में नहीं होता।
- सौम्या जैन 🥀
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