ढूंढ़ता अक्सर इन ख़ामोश तड़पती निगाहो से हु मैं, क | हिंदी Shayari

"ढूंढ़ता अक्सर इन ख़ामोश तड़पती निगाहो से हु मैं, कास कोई रोने के लिये अपने काँधे का सहारा दे दे। ©NoFamePoetry"

 ढूंढ़ता अक्सर इन ख़ामोश तड़पती निगाहो से हु मैं,
कास कोई रोने के लिये अपने काँधे का सहारा दे दे।

©NoFamePoetry

ढूंढ़ता अक्सर इन ख़ामोश तड़पती निगाहो से हु मैं, कास कोई रोने के लिये अपने काँधे का सहारा दे दे। ©NoFamePoetry

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