फ़ुल ने कहा कांटो को की तुम मेरी शोभा बिगाड़ रहे हो,
बदनाम होके भी कांटो ने कहा सुन’
“मैं हमेशा तुझे चुभता भी रहूँगा और तेरी हिफाज़त भी करूंगा”
तभी भँवरा मंडराया बोला तू मेरी हो जा मैं तेरी ख़ुशबू हर जगह महका दूंगा,
बस इन कांटो से थोड़ी सी दूरी बनाले मैं तेरी ख़ूबसूरती कों बढ़ा दूँगा।
फ़ूल तन के ख़ुशी में अपने पल्लू को बढ़ा लेता है,
अपना क़द फट से काँटो से भी बढ़ा कर देता है,
कहकें फूलों से मैं तेरे सारे विष पी लूँगा, भँवरा आता है”
बदले में उसका रस निचोड़ कर अपना असली रंग दिखाता है।
भँवरे का ईमान हर ऋतु में डगमगाता है,
फिर भँवरा दूसरे फ़ूलो पर मंडराता है।
सुनो सच कहूँ तो हर फ़ूल की यही कहानी हैं,
काँटे उनके अपने है पर उनको भँवरे से प्रीत लगानी है।
©NoFamePoetry
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