आज से एक सफर शुरू होता है, चल रहे जिस डगर,रुक से गए थे मगर,
चाह कुछ और थी, खुद की ना टोह थी,
,हो रहा मौन था, खो रहा चैन था ।
चल रही बयार थी, मानो आ रही बहार थी,
ना जाने क्या खता हूई,जिन्दगी खफा हुई।
ना अब कोई राह थी,बची ना कोई चाह थी,
अब शुरू नया दौर है,ना अब बीती पर गौर है आज से नया सफर है,चलना नई डगर है।।
दीप"
#naya_safar