#RajasthanDiwas आज ‘मूर्ख दिवस’ की शुभकामनाओं सहित | हिंदी

"#RajasthanDiwas आज ‘मूर्ख दिवस’ की शुभकामनाओं सहित -दो कुण्डलिया- 1- मूर्ख बनाने से कहाँ, आता कोई बाज। किंतु विचित्र रिवाज यह, ‘मूर्ख दिवस’ है आज।। ‘मूर्ख दिवस’ है आज, बनो खुद और बनाओ। उल्लूपन का खूब, आज आनंद मनाओ।। भलमनसी के बंधु, गए अब गुज़र ज़माने। इक-दूजे को आज, लगे सब मूर्ख बनाने।। 2- जो भी जितना मूर्ख है, उतना ही आनंद। लेकिन मूर्खानंद को, रहता परमानंद।। रहता परमानंद, उसे जो निस्पृह होता। कुंभकर्ण की नींद, खूब खाकर जो सोता।। तय कर लें यह आज, मूर्ख बनना है कितना। उसको उतना चैंन, मूर्ख है जो भी जितना।। -हरिओम श्रीवास्तव- ©Hariom Shrivastava"

 #RajasthanDiwas आज ‘मूर्ख दिवस’ की शुभकामनाओं सहित
-दो कुण्डलिया-
1-
मूर्ख बनाने से कहाँ, आता कोई बाज।
किंतु विचित्र रिवाज यह, ‘मूर्ख दिवस’ है आज।।
‘मूर्ख दिवस’ है आज, बनो खुद और बनाओ।
उल्लूपन का खूब, आज आनंद मनाओ।।
भलमनसी के बंधु, गए अब गुज़र ज़माने।
इक-दूजे को आज, लगे सब मूर्ख बनाने।।
2-
जो भी जितना मूर्ख है, उतना ही आनंद।
लेकिन मूर्खानंद को, रहता परमानंद।।
रहता परमानंद, उसे जो निस्पृह होता।
कुंभकर्ण की नींद, खूब खाकर जो सोता।।
तय कर लें यह आज, मूर्ख बनना है कितना।
उसको उतना चैंन, मूर्ख है जो भी जितना।।
-हरिओम श्रीवास्तव-

©Hariom Shrivastava

#RajasthanDiwas आज ‘मूर्ख दिवस’ की शुभकामनाओं सहित -दो कुण्डलिया- 1- मूर्ख बनाने से कहाँ, आता कोई बाज। किंतु विचित्र रिवाज यह, ‘मूर्ख दिवस’ है आज।। ‘मूर्ख दिवस’ है आज, बनो खुद और बनाओ। उल्लूपन का खूब, आज आनंद मनाओ।। भलमनसी के बंधु, गए अब गुज़र ज़माने। इक-दूजे को आज, लगे सब मूर्ख बनाने।। 2- जो भी जितना मूर्ख है, उतना ही आनंद। लेकिन मूर्खानंद को, रहता परमानंद।। रहता परमानंद, उसे जो निस्पृह होता। कुंभकर्ण की नींद, खूब खाकर जो सोता।। तय कर लें यह आज, मूर्ख बनना है कितना। उसको उतना चैंन, मूर्ख है जो भी जितना।। -हरिओम श्रीवास्तव- ©Hariom Shrivastava

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