शादी नहीं, दो जिस्म को एक बनाने का बंधन! शादी नहीं

"शादी नहीं, दो जिस्म को एक बनाने का बंधन! शादी नहीं, जज़्बातों को बेकाबू करने का बंधन। शादी नहीं, नहीं कोई शारीरिक संबंध बनाने का सौदा। शादी तो है एक पाक रिश्ते का आधार। दो दिल जब एक हों तभी हो शादी साकार। ऐसी शादी से बनता है परिवार। पति की शारीरिक मनमानी कहलाती बलात्कार। फैसला एक-समान हो पूरे देश में वरना नारी करेगी हाहाकार। ©Rita Jha"

 शादी नहीं, दो जिस्म को एक बनाने का बंधन!
शादी नहीं, जज़्बातों को बेकाबू करने का बंधन।
शादी नहीं, नहीं कोई शारीरिक संबंध बनाने का सौदा।
शादी तो है एक पाक रिश्ते का आधार।
दो दिल जब एक हों तभी हो शादी साकार।
ऐसी शादी से बनता है परिवार।
पति की शारीरिक मनमानी कहलाती बलात्कार।
फैसला एक-समान हो पूरे देश में वरना नारी करेगी हाहाकार।

©Rita Jha

शादी नहीं, दो जिस्म को एक बनाने का बंधन! शादी नहीं, जज़्बातों को बेकाबू करने का बंधन। शादी नहीं, नहीं कोई शारीरिक संबंध बनाने का सौदा। शादी तो है एक पाक रिश्ते का आधार। दो दिल जब एक हों तभी हो शादी साकार। ऐसी शादी से बनता है परिवार। पति की शारीरिक मनमानी कहलाती बलात्कार। फैसला एक-समान हो पूरे देश में वरना नारी करेगी हाहाकार। ©Rita Jha

#TwoLaws

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