वक़्त की फेहरिश्त में सब ठहर गया है अपना कहकर कोई ब | हिंदी शायरी

"वक़्त की फेहरिश्त में सब ठहर गया है अपना कहकर कोई बदल गया है। जुबा पर चाहत और दिल मे फ़िक्र है कहने वाला वो शख़्स आज जाने किधर गया है। sakshi gupta"

 वक़्त की फेहरिश्त में सब ठहर गया है
अपना कहकर कोई बदल गया है।
जुबा पर चाहत और दिल मे फ़िक्र है कहने वाला
वो शख़्स आज जाने किधर गया है।


sakshi gupta

वक़्त की फेहरिश्त में सब ठहर गया है अपना कहकर कोई बदल गया है। जुबा पर चाहत और दिल मे फ़िक्र है कहने वाला वो शख़्स आज जाने किधर गया है। sakshi gupta

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