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मेरी डायरी के कुछ पन्ने
https://www.instagram.com/shwetanishad30/
shweta nishad
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बेवफ़ा तो ये ज़िन्दगी भी बहुत है साहब हर मोड़ ठोकरे देती है कितनी भी मोहब्बत कर लो इससे आखिर में काफिले मौत की ओर ही मोड़ती है। shweta nishad
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वक़्त की फेहरिश्त में सब ठहर गया है अपना कहकर कोई बदल गया है। जुबा पर चाहत और दिल मे फ़िक्र है कहने वाला वो शख़्स आज जाने किधर गया है। sakshi gupta
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जरूरी नही वक़्त न देने पर रिश्ते टूटे अक्सर जरूरत से ज़्यादा वक़्त देने पर भी रिश्ते टूट जाया करते है। shweta nishad
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मौत ज़िन्दगी को हर बेरुख़ी से कितनी दूर ले जाती है ख़ाक कर तेरे ज़िस्म का लिबास वो राख़ हो जाती हैं। बाँध ले बन्धन तू कितने भी इस जहाँ से हर बन्धन तोड़कर एक दिन रूह जिस्म से आजाद हो जाती है। shweta nishad
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