White हादसे पर हादसे, मुझ पर गुज़र जाने के बाद
हाँ मैं जिंदा हूँ मगर,थोड़ा सा मर जाने के बाद
ग़र ताल्लुक तर्क़ करना है,सलीके से करो
ये नदी चढ़ भी तो सकती है,उतर जाने के बाद
अब किसी गुमनाम मंज़िल का सफ़र, है सामने
जाने पहचाने सभी रस्ते,ठहर जाने के बाद
उसको मेरी,मुन्तज़िर आंखे दिखाना दोस्तों
लौट आए वो अगर,मेरे गुज़र जाने के बाद
एक बेपरवाह सा अंदाज़ है,और कुछ नहीं
क्या बचेगा हममें, हम जैसा सुधर जाने के बाद
ढूँढ़ लेती है उदासी रोज़ मुझको, और फिर
दो-पहर रहती है मुझमें, दोपहर जाने के बाद
मुन्तज़िर = प्रतीक्षारत
©Kumar Dinesh
#good_night