Kumar Dinesh

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"थाम उंगली लफ़्ज़ों की,बज़्म में पैकर ख़ुद का उकेरता हूँ मैं ख़ुद ही में ख़ुद ही के खोने की बेहिसी से,फ़रागत ढूँढता हूँ मैं"

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White एक ख़याल... आखिर कितनी अपने बदन की, ज़ख्मों से अराइश करे ये ही ज़िंदगी है तो कोई इसकी, क्यूँ ख़्वाहिश करे कितनी बार मरता है, इक दिन जीने को यां आदमी तुम कहते हो, वो ज़िंदगी की सबसे सताइश करे जबसे बंद रहने लगे हैं, दरवाज़े घर के यहाँ कैसे कोई इमदाद की, अपनों से गुज़ारिश करे माना उनको हमसे नहीं रग़बत अब कोई, दिल मगर उसको भूलने की किसी कोशिश पे, जो लरज़िश करे इक वो ही अगर वज्ह हो ज़ख्मों की मिरे, तो कहो आखिर किस बिना पे मिरा दिल, उसकी सिफ़ारिश करे जब कोई समझ ही नहीं सकता, बात दिल की यहाँ कैसे कोई जज़्बात की अपने, फिर निगारिश करे मैं उसके तग़ाफ़ुल से, घाइल कितना हुआ हूँ मगर ये दिल भी अज़ब है जो उस बुत की ही, परस्तिश करे अराइश = सजावट सताइश = तारीफ इमदाद = मदद लरज़िश = थरथराने/काँपने का भाव निगारिश = तहरीर/आलेख/लिखा हुआ परस्तिश = पूजा/इबादत © कुमार दिनेश ©Kumar Dinesh

#शायरी #sunset_time  White एक ख़याल...

आखिर कितनी अपने बदन की, ज़ख्मों से अराइश करे
ये ही ज़िंदगी है तो कोई इसकी, क्यूँ ख़्वाहिश करे

कितनी बार मरता है, इक दिन जीने को यां आदमी
तुम कहते हो, वो ज़िंदगी की सबसे सताइश करे

जबसे बंद रहने लगे हैं, दरवाज़े घर के यहाँ
कैसे कोई इमदाद की, अपनों से गुज़ारिश करे

माना उनको हमसे नहीं रग़बत अब कोई, दिल मगर
उसको भूलने की किसी कोशिश पे, जो लरज़िश करे

इक वो ही अगर वज्ह हो ज़ख्मों की मिरे, तो कहो
आखिर किस बिना पे मिरा दिल, उसकी सिफ़ारिश करे

जब कोई समझ ही नहीं सकता, बात दिल की यहाँ
कैसे कोई जज़्बात की अपने, फिर निगारिश करे

मैं उसके तग़ाफ़ुल से, घाइल कितना हुआ हूँ मगर
ये दिल भी अज़ब है जो उस बुत की ही, परस्तिश करे

अराइश = सजावट
सताइश = तारीफ
इमदाद = मदद
लरज़िश = थरथराने/काँपने का भाव
निगारिश = तहरीर/आलेख/लिखा हुआ
परस्तिश = पूजा/इबादत

© कुमार दिनेश

©Kumar Dinesh

#sunset_time

14 Love

White गरचे इसने ज़ख्म दिया है.. गहरा तुम से दूसरा शिक़वा दुनिया से है...पहला तुम से ख़ुद को।इतना गुमसुम पा कर..सोच रहा हूँ किस पल मैंने इश्क़ किया था.. इतना तुम से और नहीं कुछ बदला..बस अपने किस्से में तुम दुनिया से बदल गई हो...दुनिया तुम से किस की मुहब्बत पाक है..इस पर लड़ते थे हम लगता है मैं जीत गया वो..झगड़ा तुम से वस्ल तलक थी एक चेहरा तुम..हिज़्र की रुत में हर चेहरे ने बदल लिया है.. चेहरा तुम से गरचे = हालांकि वस्ल = मिलन ©Kumar Dinesh

#शायरी #Sad_Status  White गरचे इसने ज़ख्म दिया है.. गहरा तुम से
दूसरा शिक़वा दुनिया से है...पहला तुम से

ख़ुद को।इतना गुमसुम पा कर..सोच रहा हूँ
किस पल मैंने इश्क़ किया था.. इतना तुम से

और नहीं कुछ बदला..बस अपने किस्से में
तुम दुनिया से बदल गई हो...दुनिया तुम से

किस की मुहब्बत पाक है..इस पर लड़ते थे हम
लगता है मैं जीत गया वो..झगड़ा तुम से

वस्ल तलक थी एक चेहरा तुम..हिज़्र की रुत में
हर चेहरे ने बदल लिया है.. चेहरा तुम से

गरचे = हालांकि    वस्ल = मिलन

©Kumar Dinesh

#Sad_Status

12 Love

White रात बुझते हुए शोलों से...शरारा कह कर जुगनुओं से पूछा मैंने रस्ता.. सितारा कह कर दीद ने तेरी बख्शें ...ज़ख्म बहुत आँखों को फिर भी हर रोज़ तुझे देखा...नज़ारा कह कर खेल नाज़ुक है बड़ा इश्क़ का..समझा ये फिर बाजी जब छोड़ गया जीती..वो हारा कह कर जो गिरा नज़रों से इक बार..गुहर हो चाहे फिर रखा उसको न हमनें भी..दुबारा कह कर उस बुलंदी पे था..पहुंची न सदा भी उस तक यूँ तो उसको ख़ुदा भी हमनें.. पुकारा कह कर रात पहलू में मिरे... देर तलक वो महका ज़ख्म जो आख़िरी रखा था... शुमारा कह कर ©Kumar Dinesh

#शायरी #rainy_season  White रात बुझते हुए शोलों से...शरारा कह कर
जुगनुओं से पूछा मैंने रस्ता.. सितारा कह कर

दीद ने तेरी बख्शें ...ज़ख्म बहुत आँखों को
फिर भी हर रोज़ तुझे देखा...नज़ारा कह कर

खेल नाज़ुक है बड़ा इश्क़ का..समझा ये फिर
बाजी जब छोड़ गया जीती..वो हारा कह कर

जो गिरा नज़रों से इक बार..गुहर हो चाहे
फिर रखा उसको न हमनें भी..दुबारा कह कर

उस बुलंदी पे था..पहुंची न सदा भी उस तक
यूँ तो उसको ख़ुदा भी हमनें.. पुकारा कह कर

रात पहलू में मिरे... देर तलक वो महका
ज़ख्म जो आख़िरी रखा था... शुमारा कह कर

©Kumar Dinesh

#rainy_season

11 Love

White दुखों के बदले में क्या भला ग़मगुसार देंगे इक आध आँसू जो देंगे भी तो उधार देंगे बुरी नज़र से नज़र हमारी उतारनी थी किसे ख़बर थी नज़र से ही वो उतार देंगे ये आँखे पानी की दो दुकानें खुली हुई हैं ग़मों के गाहक बढ़ेंगे तो कारोबार देंगे मुनाफ़िक़ों से मुहब्बतों का सिला न पूछो वो फल तो रख लेंगे और पत्ते उतार देंगे उदास ख़ाना-ब-दोश ख़्वाबों से बच के रहना ज़रा सी झपकी लगी तो टाँगें पसार देंगे तमाम लम्हे हैं ज़िंदगी के सिपाही 'कुमार' अना जो रख्खी तो दो मिनट में सुधार देंगे गमगुसार = हमदर्द मुनाफ़िक़ = दोगला/अवसरवादी ©Kumar Dinesh

#शायरी #GoodMorning  White दुखों के बदले में क्या भला ग़मगुसार देंगे
इक आध आँसू जो देंगे भी तो उधार देंगे

बुरी नज़र से नज़र हमारी उतारनी थी
किसे ख़बर थी नज़र से ही वो उतार देंगे

ये आँखे पानी की दो दुकानें खुली हुई हैं
ग़मों के गाहक बढ़ेंगे तो कारोबार देंगे

मुनाफ़िक़ों से मुहब्बतों का सिला न पूछो
वो फल तो रख लेंगे और पत्ते उतार देंगे

उदास ख़ाना-ब-दोश ख़्वाबों से बच के रहना
ज़रा सी झपकी लगी तो टाँगें पसार देंगे

तमाम लम्हे हैं ज़िंदगी के सिपाही 'कुमार'
अना जो रख्खी तो दो मिनट में सुधार देंगे

गमगुसार = हमदर्द
मुनाफ़िक़ = दोगला/अवसरवादी

©Kumar Dinesh

#GoodMorning

13 Love

White हादसे पर हादसे, मुझ पर गुज़र जाने के बाद हाँ मैं जिंदा हूँ मगर,थोड़ा सा मर जाने के बाद ग़र ताल्लुक तर्क़ करना है,सलीके से करो ये नदी चढ़ भी तो सकती है,उतर जाने के बाद अब किसी गुमनाम मंज़िल का सफ़र, है सामने जाने पहचाने सभी रस्ते,ठहर जाने के बाद उसको मेरी,मुन्तज़िर आंखे दिखाना दोस्तों लौट आए वो अगर,मेरे गुज़र जाने के बाद एक बेपरवाह सा अंदाज़ है,और कुछ नहीं क्या बचेगा हममें, हम जैसा सुधर जाने के बाद ढूँढ़ लेती है उदासी रोज़ मुझको, और फिर दो-पहर रहती है मुझमें, दोपहर जाने के बाद मुन्तज़िर = प्रतीक्षारत ©Kumar Dinesh

#शायरी #good_night  White हादसे पर हादसे, मुझ पर गुज़र जाने के बाद
हाँ मैं जिंदा हूँ मगर,थोड़ा सा मर जाने के बाद

ग़र ताल्लुक तर्क़ करना है,सलीके से करो
ये नदी चढ़ भी तो सकती है,उतर जाने के बाद

अब किसी गुमनाम मंज़िल का सफ़र, है सामने
जाने पहचाने सभी रस्ते,ठहर जाने के बाद

उसको मेरी,मुन्तज़िर आंखे दिखाना दोस्तों
लौट आए वो अगर,मेरे गुज़र जाने के बाद

एक बेपरवाह सा अंदाज़ है,और कुछ नहीं
क्या बचेगा हममें, हम जैसा सुधर जाने के बाद

ढूँढ़ लेती है उदासी रोज़ मुझको, और फिर
दो-पहर रहती है मुझमें, दोपहर जाने के बाद

मुन्तज़िर = प्रतीक्षारत

©Kumar Dinesh

#good_night

16 Love

White बे-नक़्श बे-निशान हुए जा रहे हैं हम कहने को आसमान हुए जा रहे हैं हम ऐसा पसंद आया हमें रंगे-ख़ामुशी पत्थर के हम-ज़ुबान हुए जा रहे हैं हम दरया से दिल्लगी का सिला हमसे पूछिए सहरा की दास्तान हुए जा रहे हैं हम जब से तेरे ख़याल की ख़ुशबू ने छू लिया जंगल से गुलसितान हुए जा रहे हैं हम नफ़रत भी बे-असर है मुहब्बत भी बे-असर किस दर्ज़ा सख़्त-जान हुए जा रहे हैं हम अपने ही घर में आते हैं मेहमान की तरह अपने ही मेज़बान हुए जा रहे हैं हम रोशन हुआ चराग़ किसी और के लिए बे-बात ख़ुश-गुमान हुए जा रहे हैं हम जिस तीर का निशाना हमारी ही सम्त है उसी तीर की कमान हुए जा रहे हैं हम दो रास्ते रवाँ हैं मुहब्बत की राह पर दोनों के दरमियान हुए जा रहे हैं हम अहवाल आगे क्या हो ख़ुदा जाने,धूप में फ़िलहाल सायबान हुए जा रहे हैं हम अहवाल = भविष्य सायबान = छाँव/शरण ©Kumar Dinesh

#शायरी #good_night  White बे-नक़्श बे-निशान हुए जा रहे हैं हम
कहने को आसमान हुए जा रहे हैं हम

ऐसा पसंद आया हमें रंगे-ख़ामुशी
पत्थर के हम-ज़ुबान हुए जा रहे हैं हम

दरया से दिल्लगी का सिला हमसे पूछिए
सहरा की दास्तान हुए जा रहे हैं हम

जब से तेरे ख़याल की ख़ुशबू ने छू लिया
जंगल से गुलसितान हुए जा रहे हैं हम

नफ़रत भी बे-असर है मुहब्बत भी बे-असर
किस दर्ज़ा सख़्त-जान हुए जा रहे हैं हम

अपने ही घर में आते हैं मेहमान की तरह
अपने ही मेज़बान हुए जा रहे हैं हम

रोशन हुआ चराग़ किसी और के लिए
बे-बात ख़ुश-गुमान हुए जा रहे हैं हम

जिस तीर का निशाना हमारी ही सम्त है
उसी तीर की कमान हुए जा रहे हैं हम

दो रास्ते रवाँ हैं मुहब्बत की राह पर
दोनों के दरमियान हुए जा रहे हैं हम

अहवाल आगे क्या हो ख़ुदा जाने,धूप में
फ़िलहाल सायबान हुए जा रहे हैं हम
अहवाल = भविष्य   सायबान = छाँव/शरण

©Kumar Dinesh

#good_night

10 Love

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