White बे-नक़्श बे-निशान हुए जा रहे हैं हम कहने को आ | हिंदी शायरी

"White बे-नक़्श बे-निशान हुए जा रहे हैं हम कहने को आसमान हुए जा रहे हैं हम ऐसा पसंद आया हमें रंगे-ख़ामुशी पत्थर के हम-ज़ुबान हुए जा रहे हैं हम दरया से दिल्लगी का सिला हमसे पूछिए सहरा की दास्तान हुए जा रहे हैं हम जब से तेरे ख़याल की ख़ुशबू ने छू लिया जंगल से गुलसितान हुए जा रहे हैं हम नफ़रत भी बे-असर है मुहब्बत भी बे-असर किस दर्ज़ा सख़्त-जान हुए जा रहे हैं हम अपने ही घर में आते हैं मेहमान की तरह अपने ही मेज़बान हुए जा रहे हैं हम रोशन हुआ चराग़ किसी और के लिए बे-बात ख़ुश-गुमान हुए जा रहे हैं हम जिस तीर का निशाना हमारी ही सम्त है उसी तीर की कमान हुए जा रहे हैं हम दो रास्ते रवाँ हैं मुहब्बत की राह पर दोनों के दरमियान हुए जा रहे हैं हम अहवाल आगे क्या हो ख़ुदा जाने,धूप में फ़िलहाल सायबान हुए जा रहे हैं हम अहवाल = भविष्य सायबान = छाँव/शरण ©Kumar Dinesh"

 White बे-नक़्श बे-निशान हुए जा रहे हैं हम
कहने को आसमान हुए जा रहे हैं हम

ऐसा पसंद आया हमें रंगे-ख़ामुशी
पत्थर के हम-ज़ुबान हुए जा रहे हैं हम

दरया से दिल्लगी का सिला हमसे पूछिए
सहरा की दास्तान हुए जा रहे हैं हम

जब से तेरे ख़याल की ख़ुशबू ने छू लिया
जंगल से गुलसितान हुए जा रहे हैं हम

नफ़रत भी बे-असर है मुहब्बत भी बे-असर
किस दर्ज़ा सख़्त-जान हुए जा रहे हैं हम

अपने ही घर में आते हैं मेहमान की तरह
अपने ही मेज़बान हुए जा रहे हैं हम

रोशन हुआ चराग़ किसी और के लिए
बे-बात ख़ुश-गुमान हुए जा रहे हैं हम

जिस तीर का निशाना हमारी ही सम्त है
उसी तीर की कमान हुए जा रहे हैं हम

दो रास्ते रवाँ हैं मुहब्बत की राह पर
दोनों के दरमियान हुए जा रहे हैं हम

अहवाल आगे क्या हो ख़ुदा जाने,धूप में
फ़िलहाल सायबान हुए जा रहे हैं हम
अहवाल = भविष्य   सायबान = छाँव/शरण

©Kumar Dinesh

White बे-नक़्श बे-निशान हुए जा रहे हैं हम कहने को आसमान हुए जा रहे हैं हम ऐसा पसंद आया हमें रंगे-ख़ामुशी पत्थर के हम-ज़ुबान हुए जा रहे हैं हम दरया से दिल्लगी का सिला हमसे पूछिए सहरा की दास्तान हुए जा रहे हैं हम जब से तेरे ख़याल की ख़ुशबू ने छू लिया जंगल से गुलसितान हुए जा रहे हैं हम नफ़रत भी बे-असर है मुहब्बत भी बे-असर किस दर्ज़ा सख़्त-जान हुए जा रहे हैं हम अपने ही घर में आते हैं मेहमान की तरह अपने ही मेज़बान हुए जा रहे हैं हम रोशन हुआ चराग़ किसी और के लिए बे-बात ख़ुश-गुमान हुए जा रहे हैं हम जिस तीर का निशाना हमारी ही सम्त है उसी तीर की कमान हुए जा रहे हैं हम दो रास्ते रवाँ हैं मुहब्बत की राह पर दोनों के दरमियान हुए जा रहे हैं हम अहवाल आगे क्या हो ख़ुदा जाने,धूप में फ़िलहाल सायबान हुए जा रहे हैं हम अहवाल = भविष्य सायबान = छाँव/शरण ©Kumar Dinesh

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