White दुखों के बदले में क्या भला ग़मगुसार देंगे
इक आध आँसू जो देंगे भी तो उधार देंगे
बुरी नज़र से नज़र हमारी उतारनी थी
किसे ख़बर थी नज़र से ही वो उतार देंगे
ये आँखे पानी की दो दुकानें खुली हुई हैं
ग़मों के गाहक बढ़ेंगे तो कारोबार देंगे
मुनाफ़िक़ों से मुहब्बतों का सिला न पूछो
वो फल तो रख लेंगे और पत्ते उतार देंगे
उदास ख़ाना-ब-दोश ख़्वाबों से बच के रहना
ज़रा सी झपकी लगी तो टाँगें पसार देंगे
तमाम लम्हे हैं ज़िंदगी के सिपाही 'कुमार'
अना जो रख्खी तो दो मिनट में सुधार देंगे
गमगुसार = हमदर्द
मुनाफ़िक़ = दोगला/अवसरवादी
©Kumar Dinesh
#GoodMorning