सब करती...ना कुछ कहती है..
जैसे कह दो..वो रहती है..
तू जाने.. तु मतवाला है..
पर जलती हुई..वो ज्वाला है..
हो सकती है वो.. अस्त्र-शस्त्र..
मापो मत...उसके वस्त्र - वस्त्र...
कभी है ममता...कभी चंचलता...
मन में उसके...है निर्मलता....
कभी अन्नपूर्णा...है जननी...
पवित्र है...जैसे हो अग्नि...
सब त्याग उसने है...पल - पल...
पर स्वच्छ मन है....जैसे जल..
तुम कद्र करो... सम्मान दो....
उसे स्त्री होने का....स्वाभिमान दो...
©Meghna Tiwari
#womensday2021