सोच रहा हूँ रुपये से तेज भी कुछ गिर रहा है हाँ शाय | हिंदी कविता

"सोच रहा हूँ रुपये से तेज भी कुछ गिर रहा है हाँ शायद ये इंसान इंसानियत और ईमान.. #काफ़िर"

 सोच रहा हूँ रुपये से तेज भी कुछ गिर रहा है
हाँ शायद ये इंसान इंसानियत और ईमान..
#काफ़िर

सोच रहा हूँ रुपये से तेज भी कुछ गिर रहा है हाँ शायद ये इंसान इंसानियत और ईमान.. #काफ़िर

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