वक़्त घड़ी की सुईओं के साथ बीत रहा था, और एकाएक मुझे | हिंदी शायरी
"वक़्त घड़ी की सुईओं के साथ बीत रहा था, और एकाएक मुझे एहसास हुआ कि मेरा परीक्षा नजदीक आ रहा था!
शायद उस दिन वक्त कि पहरेदारी भी देखी,
घडी कि सूईओ कि कीमत भी जानी
प्रियंका झा"
वक़्त घड़ी की सुईओं के साथ बीत रहा था, और एकाएक मुझे एहसास हुआ कि मेरा परीक्षा नजदीक आ रहा था!
शायद उस दिन वक्त कि पहरेदारी भी देखी,
घडी कि सूईओ कि कीमत भी जानी
प्रियंका झा