वक़्त घड़ी की सुईओं के साथ बीत रहा था, और एकाएक मुझे एहसास हुआ कि मेरा परीक्षा नजदीक आ रहा था!
शायद उस दिन वक्त कि पहरेदारी भी देखी,
घडी कि सूईओ कि कीमत भी जानी
प्रियंका झा
वक़्त घड़ी की सुईओं के साथ बीत रहा था, और एकाएक मुझे एहसास हुआ कि वक्त नूर को बेनूर बना देता है,
थोड़े से जख्म को नासूर बना देता है,
कौन चाहता है अपनों से दूर रहना,
पर वक्त हम को मजबूर बना देता है,
silent writer
वक़्त घड़ी की सुईओं के साथ बीत रहा था, और एकाएक मुझे एहसास हुआ कि waqt duniya ka sabse anmol heera ha.. bhedbhav se koso dur bina kisi ki parvah kiye bs chlta rehta ae😎
वक़्त घड़ी की सुईओं के साथ बीत रहा था, और एकाएक मुझे एहसास हुआ कि फूल हो तुम मुरझाना नही
अपने इस दोस्त को कभी भुलाना नही
जब तक हम जिंदा है ऐ मेरे दोस्त
कभी किसी से घबराना नही
वक़्त घड़ी की सुईओं के साथ बीत रहा था, और एकाएक मुझे एहसास हुआ कि अब पढ़ना चाहिए ,फिर एकाएक नींद ने दस्तक दी कि अब सो जाना चाहिए ,फिर एकाएक मेरे सपने ने दस्तक दी कि मुझे सपने पूरे करने हैं जो मैंने देखे थे |फिर मे पढ़ने लग गया और फिर पढ़ते-पढ़ते न जाने कब नींद से लिफ्त हो गया|
जिंदगी का कुछ पता नहीं यह कब पूरी हो
जानी है तो दोस्तों अपनी मेहनत को दुगनी कर अपने टारगेट को प्राप्त करें|
गणेश शर्मा
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