वक़्त घड़ी की सुईओं के साथ बीत रहा था, और एकाएक मुझे एहसास हुआ कि अब पढ़ना चाहिए ,फिर एकाएक नींद ने दस्तक दी कि अब सो जाना चाहिए ,फिर एकाएक मेरे सपने ने दस्तक दी कि मुझे सपने पूरे करने हैं जो मैंने देखे थे |फिर मे पढ़ने लग गया और फिर पढ़ते-पढ़ते न जाने कब नींद से लिफ्त हो गया|
जिंदगी का कुछ पता नहीं यह कब पूरी हो
जानी है तो दोस्तों अपनी मेहनत को दुगनी कर अपने टारगेट को प्राप्त करें|
गणेश शर्मा
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