एक सोच अकल से फिसल गई,
मुझे याद थी कि बदल गई,
मेरी सोच थी कि वो ख्वाब था,
मेरी जिंदगी का हिसाब था।
मेरी जुस्तजू से बरअक्स थी,
मेरी मुश्किलों का अक्स थी,
मुझे याद हो तो वो सोच थी,
जो ना याद हो तो गुमान था..
मुझे बैठे-बैठे गुमाह हुआ,
गुमाह नहीं था, खुदा था वो,
मेरी सोच नहीं थी, खुदा था वो,
ओ ख़ुदा जिसने जुबान दी,
मुझे दिल दिया, मुझे जान दी,
वो जुबान, जिससे ना चला सके,
वो दिल, जिसे ना मना सके,
वह जान, जिसने ना लगा सके..
कभी मिल तो तुझको बताएं हम,
तुझे इस तरह से सताए हम,
तेरा इश्क तुझ से छीन के,
तुझे मय पिला के रुलाए हम..
तुझे दर्द दू, तू ना सह सके,
तुझे दूर जुबान, तू ना कह सके,
तुझे दूं मकान, तू ना रह सके,
तुझे मुश्किलों में घिरा के मैं,
कोई ऐसा रास्ता निकाल दो,
तेरे दर्द कि मैं दवा करूं,
किसी गर्ज़ के मैं शिवा करूं
©Neerav Nishani
#boat