गूंजती रहूंगी तेरे जहन की गलियों में रात दिन, जिसे | हिंदी शायरी

"गूंजती रहूंगी तेरे जहन की गलियों में रात दिन, जिसे सुन के अनसुना ना कर सके वो 'आवाज़' हूँ मैं। 'रश्मि' ©Rashmi Abhaya"

 गूंजती रहूंगी तेरे जहन की गलियों में रात दिन,
जिसे सुन के अनसुना ना कर सके वो 'आवाज़' हूँ मैं।

'रश्मि'

©Rashmi Abhaya

गूंजती रहूंगी तेरे जहन की गलियों में रात दिन, जिसे सुन के अनसुना ना कर सके वो 'आवाज़' हूँ मैं। 'रश्मि' ©Rashmi Abhaya

#रश्मि_अभय

#apart

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