कुंद कुंद चलता है हवाओ का जैसे फ़कीरा रूप सौंधी सी | हिंदी Poetry

"कुंद कुंद चलता है हवाओ का जैसे फ़कीरा रूप सौंधी सी निखर रहीं है सौम्य तन का डेरा गूँज उठी है रौशन फ़िजाए, धीमी धीमी चलें मौसम की सदाएं अब जा के वो चंचल हुई है, चाँदनी में जो बिखरी हुई है जकरे हुए है बाज़ुओं मे, कभी ना ये पल जाए धुन्ध इश्क की यही खाड़ी है, बड़ी देर से तुझमे पड़ी है लो सिमट गई हया मस्तानी , कर लो ऐ इश्क दिवानी ©chandni"

 कुंद कुंद चलता है हवाओ का जैसे फ़कीरा
रूप सौंधी सी निखर रहीं है सौम्य तन
का डेरा 

गूँज उठी है रौशन फ़िजाए, धीमी धीमी
चलें मौसम की सदाएं

अब जा के वो चंचल हुई है, चाँदनी में
जो बिखरी हुई है

जकरे हुए है बाज़ुओं मे, कभी ना ये
पल जाए

धुन्ध इश्क की यही खाड़ी है, बड़ी
देर से तुझमे पड़ी है

लो सिमट गई हया मस्तानी , कर
लो ऐ इश्क दिवानी

©chandni

कुंद कुंद चलता है हवाओ का जैसे फ़कीरा रूप सौंधी सी निखर रहीं है सौम्य तन का डेरा गूँज उठी है रौशन फ़िजाए, धीमी धीमी चलें मौसम की सदाएं अब जा के वो चंचल हुई है, चाँदनी में जो बिखरी हुई है जकरे हुए है बाज़ुओं मे, कभी ना ये पल जाए धुन्ध इश्क की यही खाड़ी है, बड़ी देर से तुझमे पड़ी है लो सिमट गई हया मस्तानी , कर लो ऐ इश्क दिवानी ©chandni

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