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" प्राप्त नही था, तो पूर्ण था ; खोकर , मैं अधूरा हो गया ..." ... ©Krishna ka kavya

#lamppost  " प्राप्त नही था,  तो पूर्ण था ;
खोकर , मैं अधूरा हो गया ..."
















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©Krishna ka kavya

#lamppost

14 Love

हर ख्याल में है वो! हर सवाल मे है वो! हर साल में है वो! हर हाल में है वो! हर चाल में है वो! हर पल में है वो! हर विसाल में है वो! हर जमाल में है वो! हर पहल में है वो! हर कल में है वो! ©abhishek sharma

#lamppost  हर ख्याल में है वो! 
हर सवाल मे है वो! 

हर साल में है वो! 
हर हाल  में है वो!

हर चाल में है वो! 
हर पल में है वो! 

हर विसाल में है वो! 
हर जमाल में है वो! 

हर पहल में है वो! 
हर कल में है वो!

©abhishek sharma

#lamppost

23 Love

#शायरी #lamppost #aarjav  फिर एक आम सी शाम
अपने पुराने वही काम
ये सावन बारिश गुलाब
सब कुछ उसके नाम

©Aarjav Mishra
#आज_का_विचार  स्वयं एक समस्या बनने के बजाय
क्यों न हम दूसरों की समस्यायें 
हल करने के सहायक बन जायें...
-वेद प्रकाश

©VED PRAKASH 73
#സമൂഹം #Messageoftheday #Inspiration #nabeelmrkl #motivate #reaction   എത്ര കണ്ട് അധിഷേപിച്ചാലും തളരാത്തവരോടും തിരിച്ചടിക്കാത്തവരോടും
 തിരിച്ചടിക്കാനും മല്ലടിക്കാനും
 ആര്‍ക്കും താല്‍പര്യമുണ്ടാകില്ല.
 കാലം നല്‍കുന്ന സ്വാഭാവിക
 മറുപടികള്‍ക്ക് 
മറ്റെന്തിനേക്കാളും ആഴവും
 വ്യാപ്തിയും ഉണ്ടായിരിക്കും.

©nabeelmrkl

कुंद कुंद चलता है हवाओ का जैसे फ़कीरा रूप सौंधी सी निखर रहीं है सौम्य तन का डेरा गूँज उठी है रौशन फ़िजाए, धीमी धीमी चलें मौसम की सदाएं अब जा के वो चंचल हुई है, चाँदनी में जो बिखरी हुई है जकरे हुए है बाज़ुओं मे, कभी ना ये पल जाए धुन्ध इश्क की यही खाड़ी है, बड़ी देर से तुझमे पड़ी है लो सिमट गई हया मस्तानी , कर लो ऐ इश्क दिवानी ©chandni

 कुंद कुंद चलता है हवाओ का जैसे फ़कीरा
रूप सौंधी सी निखर रहीं है सौम्य तन
का डेरा 

गूँज उठी है रौशन फ़िजाए, धीमी धीमी
चलें मौसम की सदाएं

अब जा के वो चंचल हुई है, चाँदनी में
जो बिखरी हुई है

जकरे हुए है बाज़ुओं मे, कभी ना ये
पल जाए

धुन्ध इश्क की यही खाड़ी है, बड़ी
देर से तुझमे पड़ी है

लो सिमट गई हया मस्तानी , कर
लो ऐ इश्क दिवानी

©chandni

कुंद कुंद चलता है हवाओ का जैसे फ़कीरा रूप सौंधी सी निखर रहीं है सौम्य तन का डेरा गूँज उठी है रौशन फ़िजाए, धीमी धीमी चलें मौसम की सदाएं अब जा के वो चंचल हुई है, चाँदनी में जो बिखरी हुई है जकरे हुए है बाज़ुओं मे, कभी ना ये पल जाए धुन्ध इश्क की यही खाड़ी है, बड़ी देर से तुझमे पड़ी है लो सिमट गई हया मस्तानी , कर लो ऐ इश्क दिवानी ©chandni

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