प्रीत की डोर सँग पतंग
देखो कैसी इतराई है
प्रीत की डोर से बंधकर आसमान में लहराई है
जुड़ी रहती जब तक जमीं से घोर हवाओं में भी इठलाई है
अकड़ दिखाई,तोड़ा प्रीत का बंधन
बीच मझधार अटक गई है
जमीन पर आकर भी कटी पतंग कहलाई है
एक सुंदर सीख हमको भी समझाई है
जुड़े रहना हर हाल में अपनी जमीं से
प्रीत के धागों को सहेजना
मै से "हम" का महत्व सिखलाई है ||
Anju agrawal
©Anju
#makarsakranti