हज़ारों आँखों पर कहीं शोर नहीं जलता । धीरे-धीरे य | हिंदी Life

"हज़ारों आँखों पर कहीं शोर नहीं जलता । धीरे-धीरे ये जिस्म मिटता है, पर किसी का ध्यान नहीं बटता । किसे कहुँ शहर में सब मासूम है । सर कटता तो है पर कभी शर्म से नहीं झुकता । कोई नहीं कहता अब अरे ऊपरवाला सुन रहा है । और किसे कहता आसमाँ तो एक झूठी कहावत है । आजकल दर्द भी खामोशी के चादर बिछाये बैठे है । मज़ाल है कि किसी को जख्म दिख जाये । और ऐसे भी कोई नहीं देखता ।। ©Prince Raज"

 हज़ारों आँखों पर कहीं शोर नहीं जलता । 
धीरे-धीरे ये जिस्म मिटता है, 
पर किसी का ध्यान नहीं बटता ।
किसे कहुँ शहर में सब मासूम है । 
सर कटता तो है पर कभी शर्म से नहीं झुकता ।
कोई नहीं कहता अब अरे ऊपरवाला सुन रहा है ।
और किसे कहता आसमाँ तो एक झूठी कहावत है । 
आजकल दर्द भी खामोशी के चादर बिछाये बैठे है । 
मज़ाल है कि किसी को  जख्म दिख जाये ।
और ऐसे भी कोई नहीं देखता ।।

©Prince Raज

हज़ारों आँखों पर कहीं शोर नहीं जलता । धीरे-धीरे ये जिस्म मिटता है, पर किसी का ध्यान नहीं बटता । किसे कहुँ शहर में सब मासूम है । सर कटता तो है पर कभी शर्म से नहीं झुकता । कोई नहीं कहता अब अरे ऊपरवाला सुन रहा है । और किसे कहता आसमाँ तो एक झूठी कहावत है । आजकल दर्द भी खामोशी के चादर बिछाये बैठे है । मज़ाल है कि किसी को जख्म दिख जाये । और ऐसे भी कोई नहीं देखता ।। ©Prince Raज

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