अफ़ग़ानिस्तान से भागते हुए सभी पुरुष दिख रहे हैं जो अपनी स्त्रियों और बच्चों को तालिबानी लड़ाकों के लिए छोड़ कर भाग रहे हैं...!!
अपनी छोटी छोटी बच्चियों को उन दरिंदों को सौंप कर अपनी जान बचा कर भाग रहे हैं ।
सोच कर कलेजा मुँह को आ जाता है...!!
यह कृत्य एकमात्र उनके आसमानी क़िताब की देन है जिसमें स्त्रियों को एक ..... वस्तु के अलावा कुछ नहीं माना जाता ।
एक हमारा इतिहास उठा लीजिए , हमारे सिर कट गए हैं लेकिन हमने अपनी स्त्रियों की मर्यादा की रक्षा के लिए महाभारत कर दिया था और समुद्र तक पर पुल बाँध दिया था ।
लाखों क्षत्रियों ने सिर्फ अपनी ही नहीं, हर वर्ग की स्त्रियों की रक्षा के लिए धड़ाधड़ शीश काट दिए या तो कटा लिए लेकिन अपनी स्त्रियों की रक्षा से कोई समझौता नहीं किया ।
यह है हमारी संस्कृति और हमारे शास्त्र जिनमें स्त्रियों के बिना किसी पुरुष का अस्तित्व या समाज का अस्तित्व असंभव है ।
जहाँ वह अपने ही देश से, जहाँ उनके पुरखों से लेकर स्वयं तक जिस भूमि पर लोट कर बड़े हुए, उसको छोड़ कर भाग रहे हैं ।
दूसरी ओर हमारे देश का एक पुजारी, जो कि घोर काफ़िर है, वह अपने मन्दिर और विग्रहों को छोड़ कर जाने को तैयार नहीं ।
उसे अच्छी तरह पता है कि उसका हश्र क्या होगा, लेकिन वह अपने कर्तव्य से च्युत नहीं हो रहा है ।
तो यह है अपनी शिक्षा, संस्कार, मूल्यों की महत्ता...
यह है हमारे शास्त्रों की महत्ता..
यह है हमारा DNA....
हमें गर्व है अपने सनातनी होने और अपने धर्म पर..!!
©Prince Nithar
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here