जो लिखती हूँ वो अब अधूरा रह जाता है,
तुम उन्हें मुक्कमल कर सको तो आना,
अब मुझमे वो पहले सी बात नहीं,
आज इस बात में रह सको तो आना,
वक्त ने मेरी शनाख़्त छीन ली है मुझसे,
तुम मुझे वो लौटा सको तो आना,
बिखरी तो लगा ताश सी खड़ी थी मैं,
ग़र तुम फिर सजा सको तो आना,
अब मैं तुम्हें नहीं संभाल पाऊँगी,
तुम मुझे संभाल सको तो आना ,
अब तो ख्वाहिशों भी छोड़ दी मैंने,
तुम उम्मीद दिला सको तो आना,
अब हर साँस भी कर्ज लगने लगी है,
तुम जीना सीखा सको तो आना,
सुनो! अब की आना तो जाना मत,
ग़र रुकने आ सको तो आना,
-Shubhra Tripathi:)
©Ibrat
#alone tum आ सको तो आना 2