गूंज उठा जयकारा पृथ्वी और गगन से भक्त वृन्द मगन हु | हिंदी Poetry

"गूंज उठा जयकारा पृथ्वी और गगन से भक्त वृन्द मगन हुए आपके दर्शन से नूपुर और ढाक का संगीत गूंज रहा है जन जन में आपका स्वररूप दिख रहा है शुभ आगमन है माँ शुभ आगमन है फुले पे बहार बांके कलियों की निखार बनके रंगो का गुलाल बनके सिंह पे सवार होके आजा मेरी माँ आजा शुभ आगमन है माँ शुभ आगमन है ©पूर्वार्थ"

 गूंज उठा जयकारा पृथ्वी और गगन से
भक्त वृन्द मगन हुए आपके दर्शन से
नूपुर और ढाक का संगीत गूंज रहा है
जन जन में आपका स्वररूप दिख रहा है
शुभ आगमन है माँ शुभ आगमन है
फुले पे बहार बांके कलियों की निखार बनके
रंगो का गुलाल बनके सिंह पे सवार होके
आजा मेरी माँ आजा
शुभ आगमन है माँ शुभ आगमन है

©पूर्वार्थ

गूंज उठा जयकारा पृथ्वी और गगन से भक्त वृन्द मगन हुए आपके दर्शन से नूपुर और ढाक का संगीत गूंज रहा है जन जन में आपका स्वररूप दिख रहा है शुभ आगमन है माँ शुभ आगमन है फुले पे बहार बांके कलियों की निखार बनके रंगो का गुलाल बनके सिंह पे सवार होके आजा मेरी माँ आजा शुभ आगमन है माँ शुभ आगमन है ©पूर्वार्थ

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