White सपनों की इस आस में,
सफलता की भीनी प्यास में,
कठिनाइयों के वास में,
कहीं भूल खुद को न जाना तुम।
आंखों में सपने लिए,
हाथों में हो पुस्तक लिए,
सफलता की इन राहों पर,
किसी शूल से न टकराना तुम।
कर लो यदि गलती कोई,
भूल तो है सबसे होई,
अपने मन में ग्लानि लिए,
दोषी खुद को न ठहराना तुम।
जीतने की इस होड़ में,
जिंदगी की कठिन सी दौड़ में,
अग्नि भी मिलेगी धधकती हुई,
कहीं राख ही न बन जाना तुम।
चिड़ियाओं के हल्के शोर में,
तुम जगना सदा ही भोर में,
पर इतना सब करते हुए,
कहीं भूल खुद को न जाना तुम।
©पूर्वार्थ
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