आपकी जिंदगी मे जो मौज है, उसकी जिम्मेदार फौज है, | हिंदी Poetry

"आपकी जिंदगी मे जो मौज है, उसकी जिम्मेदार फौज है, रोज़ नए ग़म है, शाम को लेनी रम है, लाइफ इसमे रिस्की है, उसके लिए व्हिस्की है, नौकरी मे टेंशन है, बाद मे पेंशन है, छोटी सी एक सीटी है, जिसपे होती पीटी है, मॉरल motivation हायर है, तीन महीने मे फायर है, कैन्टीन की सुविधा है, Civilian की ये दुविधा है, बाल घिस कर जाना है, फिर raising day में आना है, नौकरी करते हुए घर बन जाए, फौजी के मन मे बस यही आए, पेंशन पर बच्चों की लडाई है, कैसी ये तबाही है, फौजी की बस ये ये इतनी सी life है, बुढ़ापे में पेंशन, और अपनी wife hai ©पूर्वार्थ"

 आपकी जिंदगी मे जो मौज है,
उसकी जिम्मेदार फौज है,

रोज़ नए ग़म है,
शाम को लेनी रम है,

लाइफ इसमे रिस्की है,
उसके लिए व्हिस्की है,

नौकरी मे टेंशन है,
बाद मे पेंशन है,

छोटी सी एक सीटी है,
जिसपे होती पीटी है,

मॉरल motivation हायर है,
तीन महीने मे फायर है,

कैन्टीन की सुविधा है,
Civilian की ये दुविधा है,

बाल घिस कर जाना है,
फिर raising day में आना है,

नौकरी करते हुए घर बन जाए,
फौजी के मन मे बस यही आए,

पेंशन पर बच्चों की लडाई है,
कैसी ये तबाही है,

फौजी की बस ये ये इतनी सी life है,
बुढ़ापे में पेंशन, और अपनी wife hai

©पूर्वार्थ

आपकी जिंदगी मे जो मौज है, उसकी जिम्मेदार फौज है, रोज़ नए ग़म है, शाम को लेनी रम है, लाइफ इसमे रिस्की है, उसके लिए व्हिस्की है, नौकरी मे टेंशन है, बाद मे पेंशन है, छोटी सी एक सीटी है, जिसपे होती पीटी है, मॉरल motivation हायर है, तीन महीने मे फायर है, कैन्टीन की सुविधा है, Civilian की ये दुविधा है, बाल घिस कर जाना है, फिर raising day में आना है, नौकरी करते हुए घर बन जाए, फौजी के मन मे बस यही आए, पेंशन पर बच्चों की लडाई है, कैसी ये तबाही है, फौजी की बस ये ये इतनी सी life है, बुढ़ापे में पेंशन, और अपनी wife hai ©पूर्वार्थ

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