"आंख भला क्या क्या सहती है
खुशी में नम और गम में रोती है ।
बंद होने पर हम तो सो जाते है
कौन जानता है यह कब सोती है ।
हम क्यों करें उससे लफ़्ज़ों में बाते
जिसकी आंख ही सब कुछ बोलती है ।
"दानिश" तुम्हे बेहतर है के तुम चुप रहो
सुना है यह राज़ गहरे भी खोलती है ।
©Dashing___Danish"