White क्या वो बिन तिरे मुझ सा बे-क़रार होता है
देख तुझ को क्या वो भी अश्क-बार होता है
झूठ को हक़ीक़त तेरे मैं मान लेता था
क्या उसे भी तुझ पे यूॅं ए'तिबार होता है
©Poet Kabiir
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