White क्या वो बिन तिरे मुझ सा बे-क़रार होता है द | English Shayar

"White क्या वो बिन तिरे मुझ सा बे-क़रार होता है देख तुझ को क्या वो भी अश्क-बार होता है झूठ को हक़ीक़त तेरे मैं मान लेता था क्या उसे भी तुझ पे यूॅं ए'तिबार होता है ©Poet Kabiir"

 White  क्या वो बिन तिरे मुझ सा बे-क़रार होता है 
देख तुझ को क्या वो भी अश्क-बार होता है

झूठ को हक़ीक़त तेरे मैं मान लेता था
क्या उसे भी तुझ पे यूॅं ए'तिबार होता है

©Poet Kabiir

White क्या वो बिन तिरे मुझ सा बे-क़रार होता है देख तुझ को क्या वो भी अश्क-बार होता है झूठ को हक़ीक़त तेरे मैं मान लेता था क्या उसे भी तुझ पे यूॅं ए'तिबार होता है ©Poet Kabiir

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