मै कोई माचिस की तीली नहीं हु. जो थोड़ा सा धर्षण लगत
"मै कोई माचिस की तीली नहीं हु. जो थोड़ा सा धर्षण लगते ही सुलग उठे. मैं स्वयं को शांत सरोवर कि तरह रखता हूं.कोई अंगारा भी फैंके तो, वह खुद ही बुझ जाता है. (कुनाल)"
मै कोई माचिस की तीली नहीं हु. जो थोड़ा सा धर्षण लगते ही सुलग उठे. मैं स्वयं को शांत सरोवर कि तरह रखता हूं.कोई अंगारा भी फैंके तो, वह खुद ही बुझ जाता है. (कुनाल)