क़फ़स में हूँ मुझे आज़ादियाँ आवाज़ देती हैं मेरे पर ख | हिंदी Shayari

"क़फ़स में हूँ मुझे आज़ादियाँ आवाज़ देती हैं मेरे पर खोल मुझे पुरवाइयाँ आवाज़ देती हैं तुम्हारी याद से कब तक मैं अपने दिल को बहलाऊँ चले आओ तुम मेरी तन्हाईयाँ आवाज़ देती हैं। ©Tarique Sayeed Usmani"

 क़फ़स में हूँ मुझे आज़ादियाँ आवाज़ देती हैं 
मेरे पर खोल मुझे पुरवाइयाँ आवाज़ देती हैं 


तुम्हारी याद से कब तक मैं अपने दिल को बहलाऊँ 
चले आओ तुम मेरी तन्हाईयाँ आवाज़ देती हैं।

©Tarique Sayeed Usmani

क़फ़स में हूँ मुझे आज़ादियाँ आवाज़ देती हैं मेरे पर खोल मुझे पुरवाइयाँ आवाज़ देती हैं तुम्हारी याद से कब तक मैं अपने दिल को बहलाऊँ चले आओ तुम मेरी तन्हाईयाँ आवाज़ देती हैं। ©Tarique Sayeed Usmani

#Freedom

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