Red sands and spectacular sandstone rock formations कई दर्द में तुमसे मिला भी एक दर्द था जैसे समंदर
के भीतर एक समंदर था। जिसका ओर छोर मुमकिन
न था। कोई थाह न पाये इतना गहरा, कोई राज़ खुल
न पाए इतना गहरा।
जहां तक नज़र न पहुंचे उतना वसीह, जहां तक कोई कश्ती न पहुंचे ऐसा गिरदाब।
कई बेचैनियों में तुमसे मिली बेचैनी भी थी, जैसे
तन्हाइयो के कमरे में बैठी एक अलग तन्हाई जैसे
चीख़ती आवाज़ों के बीच सिसकियों की खाई, जैसे रंगीनयो के बीच एक शाम मुरझाई,
तुमसे मिले वादों में एक वादा ऐसा भी था, जैसे हजरत
ईसा का फिर से लौटना, जैसे भूली बात का फिर से
याद होना, जैसे धुँधली तस्वीरों का फिर से साफ होना।
©Tarique S. Usmani
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