ज़ब्त-ए-ग़म पर ज़वाल क्यों आया शिद्दतों में उबाल क | हिंदी Shayari

"ज़ब्त-ए-ग़म पर ज़वाल क्यों आया शिद्दतों में उबाल क्यों आया, गुल से खिलवाड़ कर रही थी हवा दिल को तेरा ख्याल क्यों आया...। ©Tarique S. Usmani"

 ज़ब्त-ए-ग़म पर ज़वाल क्यों आया 
शिद्दतों में उबाल क्यों आया,

गुल से खिलवाड़ कर रही थी हवा 
दिल को तेरा ख्याल क्यों आया...।

©Tarique S. Usmani

ज़ब्त-ए-ग़म पर ज़वाल क्यों आया शिद्दतों में उबाल क्यों आया, गुल से खिलवाड़ कर रही थी हवा दिल को तेरा ख्याल क्यों आया...। ©Tarique S. Usmani

#HappyRoseDay

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