आभा
तू चक्र है आदि का, तू चक्र है अनंत का ,
मोह तू ,कर्म तू, रूहानियत का धर्म तू ,
वो परिश्रम का जो सेज था, रगो मे जो वेग था ,
चक्र मे छुपी ज्योति थी , वो ज्योति का ही तेज था ,
मन लग गया ध्यान मे, रूह से मिलने के अभियान मे
क्षितिज के ढलान मे ,खोज रहा दिव्ये ज्ञान मे
विमल कमल पर सवार मे ,भिक्षुक के अवतार मे
आत्मविश्वास के आस मे , आंतरिक शांति के तलाश मे
संसार हो गया अजमल सा , मनन रह गया धूमल सा
घमंड रह गया कनिष्क सा ,मस्तिष्क हो गया तनिष्क सा ,
आभा
#Nozoto