Sarthak Karnatak

Sarthak Karnatak Lives in Greater Noida, Uttar Pradesh, India

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रिश्ते की कोई जात नहीं होती, धर्म नहीं होता ,जज्बातो का वर्णन यू खुलेआम नहीं होता ये फितूर का कसूर है, या रिवाजो का सुरूर , इश्क़ की जंग का कभी ऐलान नहीं होता

#Nozoto  रिश्ते की कोई जात नहीं होती, धर्म नहीं होता ,जज्बातो  का वर्णन यू खुलेआम नहीं होता
ये  फितूर का कसूर है, या रिवाजो का सुरूर ,
 इश्क़ की जंग का कभी ऐलान नहीं होता

इश्क़ #Nozoto

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एक ख्वाब नौका की पतवार लिया मे चलता रेगिस्तान , नामुमकिन सा ख्वाब जिया मे बुनता बियेबाँ लफ्जो की क्या बात करु , अनाथ सपनो की खैरात करु , तर्क -वितर्क के मेले मे, अपनी किस्मत को विख्यात करु , जब आंधी सी बर्बादी होगी तब बन दीपक जल जाना तुम , डोर कमजोर लगे दिल की, तब पंछी जैसे रूह को साहस का दाना खिलाना तुम लोग प्रयोग करे तुमको, तब दुर्लब योग बन जाना तुम धीमी आंच जले देशभक्ति की, तब एक स्वर मे इंक़लाब गाना तुम नौका की पतवार लिया मे चलता रेगिस्तान , नामुमकिन सा ख्वाब जिया मे बुनता बियेबाँ फ़िक्र से फक्र का सफर ही नायाब है रुबाब का सैलाब है या तू अनकही सी किताब है , वक़्त की महिमा है हसायगी रुलाएगी तेरी ज़िंदगानी को दुनिया ,मुजुबानी धोरायेगी जब तू खुद को तराशेगा तब दुनिया तलाशेगी

#poem  एक ख्वाब

 नौका की पतवार लिया मे चलता रेगिस्तान , नामुमकिन सा ख्वाब जिया मे बुनता बियेबाँ 
लफ्जो की क्या बात करु , अनाथ सपनो की खैरात करु ,
तर्क -वितर्क के मेले मे, अपनी किस्मत को विख्यात करु , 
जब  आंधी सी बर्बादी होगी तब बन दीपक जल जाना तुम ,
डोर कमजोर लगे दिल की, तब पंछी जैसे रूह को साहस का दाना खिलाना तुम  
लोग प्रयोग करे तुमको, तब दुर्लब योग बन जाना तुम 
धीमी आंच जले देशभक्ति की, तब एक स्वर मे इंक़लाब गाना तुम 
 नौका की पतवार लिया मे चलता रेगिस्तान , नामुमकिन सा ख्वाब जिया मे बुनता बियेबाँ  
फ़िक्र से फक्र का सफर ही नायाब है 
रुबाब का सैलाब है या तू अनकही सी किताब है ,
वक़्त की महिमा है हसायगी रुलाएगी 
तेरी ज़िंदगानी को दुनिया ,मुजुबानी धोरायेगी 
जब तू खुद को तराशेगा तब दुनिया तलाशेगी

एक ख्वाब

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ज़मीर टटोलती बात थी, या रिश्तो मे वो मात थी दुनिया अपनों से अनजान थी ,क्या ये कलयुग की औकात थी ? जिसने ऊँगली थामी थी ,आज उन्हें बेसहारा कर दिया सुख दुःख मे जो साथ थे, उनसे क्यों रुख मोड़ दिया बेबस नीरस काया मेरी, धुंदली होती छाया मेरी रो रो के चिलाया मेने, क्या बोया क्या पाया मेने दो वक़्त की रोटी मांगी थी ,पर मेरी दवाईआ आज तेरी जरूरतों से महंगी हो गयी , मेरी कदर आज गेरो से भी कम हो गयी, खुशी के मोको पर मुझे भी शामिल कर लिया करो, समाज मे रहने की शर्म हममे आज भी है, परिवार के प्रति वफादारी आज भी है , अपने बच्चो के प्रति माँ की ममता आज भी है , परिवार के अनुभव के लिए पिता का मार्गदर्शन आज भी है वो रात बड़ी असमंजस की रात थी जमीर टटोलती बात थी, या रिश्तो मे वो मात थी , दुनिया अपनों से अनजान थी क्या ये कलयुग की औकात थी ?

 ज़मीर टटोलती बात थी, या रिश्तो मे वो मात थी 
दुनिया अपनों से अनजान थी ,क्या ये कलयुग की औकात थी ?
जिसने  ऊँगली थामी थी ,आज उन्हें बेसहारा कर दिया 
सुख दुःख मे जो साथ थे, उनसे क्यों रुख मोड़ दिया
 बेबस नीरस काया मेरी, धुंदली होती छाया मेरी 
रो  रो के चिलाया मेने, क्या बोया क्या पाया मेने 
दो वक़्त की रोटी मांगी थी ,पर मेरी दवाईआ आज तेरी जरूरतों से महंगी हो गयी ,  
मेरी कदर आज गेरो से भी कम हो गयी,
  खुशी के मोको पर मुझे भी शामिल कर लिया करो,
 समाज मे रहने की शर्म हममे आज भी है,
 परिवार  के प्रति वफादारी आज भी है ,
अपने बच्चो  के प्रति माँ की ममता आज भी है ,
परिवार  के अनुभव के लिए पिता का मार्गदर्शन आज भी है 
वो रात बड़ी असमंजस की रात थी 
जमीर टटोलती बात थी, या रिश्तो मे वो मात थी ,
दुनिया  अपनों से अनजान थी क्या ये कलयुग की औकात थी ?

बुजुर्ग

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#लम्हें2018 #Throwback2018 #Nojoto2018

Sarthak Karnatak's Stories in 2018 #Throwback2018 Sarthak Karnatak की कहानियाँ 2018 में #लम्हें2018 #Nojoto2018

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आभा तू चक्र है आदि का, तू चक्र है अनंत का , मोह तू ,कर्म तू, रूहानियत का धर्म तू , वो परिश्रम का जो सेज था, रगो मे जो वेग था , चक्र मे छुपी ज्योति थी , वो ज्योति का ही तेज था , मन लग गया ध्यान मे, रूह से मिलने के अभियान मे क्षितिज के ढलान मे ,खोज रहा दिव्ये ज्ञान मे विमल कमल पर सवार मे ,भिक्षुक के अवतार मे आत्मविश्वास के आस मे , आंतरिक शांति के तलाश मे संसार हो गया अजमल सा , मनन रह गया धूमल सा घमंड रह गया कनिष्क सा ,मस्तिष्क हो गया तनिष्क सा ,

#Nozoto  आभा 
 तू चक्र है आदि का, तू चक्र है अनंत का ,
मोह  तू ,कर्म तू, रूहानियत का धर्म तू  ,
वो परिश्रम का जो सेज था, रगो मे जो वेग था ,
चक्र मे छुपी ज्योति थी ,  वो ज्योति का ही तेज था ,
मन लग गया ध्यान मे, रूह से मिलने के अभियान मे 
क्षितिज के ढलान मे ,खोज रहा दिव्ये ज्ञान मे
विमल कमल पर सवार मे  ,भिक्षुक के अवतार मे 
आत्मविश्वास के  आस मे , आंतरिक शांति के तलाश मे 
संसार हो गया अजमल सा , मनन रह गया धूमल सा 
घमंड रह गया  कनिष्क सा ,मस्तिष्क हो गया तनिष्क सा ,

आभा #Nozoto

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