अंधेरी रात, फ़िर अंधेरी रात, फ़िर अंधेरी रात।।
मुझे इन्तज़ार है उन चार दिनों का, जब चाँदनी आएगी। मेरे दरीचे से अंदर आकर बिना मेरी इजाज़त मेरे गालों को सहलाएगी और मेरे सारे ज़ख़्म भर जाएँगे।
लेकिन अगर उसने मेरे दिल में जगह बना ली तो, और मुझे उसकी आदत पड़ गयी तो। फिर कैसे कटेंगी वो सारी स्याह रातें, जो उन चार दिनों के बाद आएँगी। ये एक कायर की सोच है, जो बन्द कर के बैठा है अपनी खिड़कियाँ। ऐसे बुज़दिल के पास चाँदनी आएगी भी क्यों।।
- PRANAV
#alone