White युध्द के विध्वंस बादल जब छटेंगे
जंग में लगे जिस्म के घाव भी भर जायेगे
बम्ब बारूद पर जलते कंकाल कह रहे हैं ,
सूखे डंकलो पर भी तो पत्ते निकल आते हैं।।
मुझको कसम है फिजाओं की खुशबुओं की ,
मैं संदली हवाओ को आवारा नही होने दूंगा।
बारूद से झुलसी सभ्यता पर ,
नए ख्वाब के नए घरौंदे बनाऊंगा ,
आज सुबह का आफताब निकलने दो।।
@अशोक जोरासिया
©Ashok Jorasia
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