Ashok Jorasia

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#अशोक_जोरासिया_की_गजल #मेरी_कलम_से✍️ #इब्ने_मीर #शायरी  White तन्हाई के बिछोने में भी सांसे चलती रही ।
मेरी आँखे बस तेरे ही ख्वाब पालती रही ।।

शबनम की बूंदे भी भिगो न सकी जमीं को।
मोम की तरह रूह बारिश में जलती रही ।।

एक लम्हे के बाद भी मेरी याद नही आई।
दिल मुकर गया इश्क की रिहाई होती रही ।।

सांसे रूक गई मगर धड़कने चलती ।रहती
सम्से राते फिजाओं से सौदेबाजी करती रही।।

झूठी बात ना करो अफसानों की दनिया मे ।
नफरती लोगो मेरी मोहब्बत खलती रही ।।

©Ashok Jorasia
#भोर_की_गूंज #शायरी #goodnightimages  White किसी महफ़िल का मुझको भी साहिर बना ले।
तू रांझ बन जा मुझको तेरा अहीर बना ले ।।
तेरी नफरतों में मैं बहुत मोहब्बत करता हूँ।
तेरे वादे वफ़ा कसमो का मुझे जमीर बना ले।।
हर पल कभी आसमां से टूटता नही तारा।
मांग ले दुआओं में खुद को अमीर बना ले।।
जन्नत बन के उतर जा इस जमी पर ।
दो बदन एक इक जान का अपना शरीर बना ले।।
अफसानों की दुनिया का चमकता तारा हूँ मैं।
तेरी विरासत की मुझको को जागीर बना ले।।
     ©® अशोक जोरासिया

©Ashok Jorasia
#शायरी  तेरे शहर में आया हूँ , मुकाम तलाश रहा हूँ ।
बे-तख्वाह हूँ आज ,मुकदर आजमा रहा हूँ ।।

पहली बार आया हूँ , मझक्का सा दिख रहा है शहर ।
गुरबत सा न बन जाऊं यंहा, हमसफ़र ढूंढ रहा हूँ ।।

काफिला-ए-बेरोजगारी बहुत होगी ,भीड़ जो है यंहा ।
मुक्ताभ सा बनकर , खुद-ब-खुद आजमा रहा हूँ ।।

पवर्तश्वर सी इमारतें है शहर मै , लिफ्ट तो होंगी ।
चढ़ना है कैसे शिखर पर, तरीका-ए-तकलीन जान रहा हूँ ।।

मिलेंगी मंजिल कहाँ  ?  मुझको ये पता नही ।
मुशाफिर हूँ ढूंढ़ लूंगा , कल की तलाश कर रहा हूँ ।।

      @अशोक जोरासिया

©Ashok Jorasia

तेरे शहर में आया हूँ , मुकाम तलाश रहा हूँ । बे-तख्वाह हूँ आज ,मुकदर आजमा रहा हूँ ।। पहली बार आया हूँ , मझक्का सा दिख रहा है शहर । गुरबत सा न बन जाऊं यंहा, हमसफ़र ढूंढ रहा हूँ ।। काफिला-ए-बेरोजगारी बहुत होगी ,भीड़ जो है यंहा । मुक्ताभ सा बनकर , खुद-ब-खुद आजमा रहा हूँ ।। पवर्तश्वर सी इमारतें है शहर मै , लिफ्ट तो होंगी । चढ़ना है कैसे शिखर पर, तरीका-ए-तकलीन जान रहा हूँ ।। मिलेंगी मंजिल कहाँ  ?  मुझको ये पता नही । मुशाफिर हूँ ढूंढ़ लूंगा , कल की तलाश कर रहा हूँ ।।       @अशोक जोरासिया ©Ashok Jorasia

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#कविता #mothers_day  White 
माँ के स्नेह भरे आंचल से लिपटकर बच्चा नीद में सो गया।
ममता भरी लोरी की थपथपी लेकर अपने नीड़ में सो गया।१।

फिजाओं से लिपटा आँचल माँ ने पलको पर रख दिया ।
चिलमन को लपटे कर वो आसमां के तारो में खो गया।२।

तन सहलाया मन बहलाया माँ ने ममता भरी लोरी सुनाई।
हाथ फैलाकर मांगी दुआए ,माँ की इबादत लेकर सो गया।३।

सुरमई लब्बो से सुरमई ख्वाब मधुमास के गीत सुनाए।
अठखेलिया करता नटखट माँ की आंखों का तारा हो गया।४।

उतर आया अक्स चाँद का ख्वाब में इब्ने - मीर के भी।
सिमट गई रातें आंखों में , माँ की कोमल बाहो में आ वो गया।५।

©Ashok Jorasia

#mothers_day

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#नई_कविताएं #इब्ने_मीर #कविता  White युध्द के विध्वंस बादल जब छटेंगे 
जंग में लगे जिस्म के घाव भी भर जायेगे
बम्ब बारूद पर जलते कंकाल कह रहे हैं ,
सूखे डंकलो पर भी तो पत्ते निकल आते हैं।।


मुझको कसम है फिजाओं की खुशबुओं की ,
मैं संदली हवाओ को आवारा नही होने दूंगा।
बारूद से झुलसी सभ्यता पर ,
नए ख्वाब के नए घरौंदे बनाऊंगा ,
आज सुबह का आफताब निकलने दो।।


    @अशोक जोरासिया

©Ashok Jorasia
#रूह_की_बाते #इब्ने_मीर #शायरी  तेरे हुस्न का जमाल देखा तो दिल मे तेरी तस्वीर उतर गई।
बेमिसाल फिजाओं के रंग में डूबकर मेरी तकदीर सवंर गई।१।

मस्त आंखे जुगूनु की तरह चमकने लगी अंधेरी रात में।
तेरे घुंघुट के चाँद की चांदनी मेरे ख्वाब में बसर कर गई।२।

तेरा हुस्न में मेरे डूबे हुए लाजबाब ख्याल ये कहने लगे।
जिस्म खाक हो गया रूह सितारों की तरह निखर गई ।३।

तेरे नूरे दीदार से मेरी आरजुएं मस्तहाल होने लगी।
तेरे रुखसार की जुल्फे मेरे जिस्म पर फूल की तरह बिखर गई।४।

तेरा इश्क भी बड़ा लाजवाब हैं ए मोहब्बते सनम।
मेरे सारे ख्वाबो ख्याल को अपनी रूह में कैद कर गई।५।

     @अशोक जोरासिया

©Ashok Jorasia
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