इश्क से जिस दिन, जिरह हो जायेगी| फिर नींद से अपनी, | हिंदी शायरी

"इश्क से जिस दिन, जिरह हो जायेगी| फिर नींद से अपनी, सुलह हो जायेगी| . बे-सबब जीने से, हासिल कुछ नही उसकी ख्वाहिश इक, वजह हो जायेगी| . वक्त की नाराजगी का, सब है अंधेरा तकदीर की इक दिन, सुबह हो जायेगी| . फुरसतों से मिलना भी, न हो पायेगा जिंदगी ही कुछ इस, तरह हो जायेगी| . मुस्कुराकर देख लें, गर वो 'सुरेश' हर हाल में अपनी, निबह हो जायेगी| . ©Suresh Jadav"

 इश्क से जिस दिन, जिरह हो जायेगी|
फिर नींद से अपनी, सुलह हो जायेगी|
.
बे-सबब जीने से, हासिल कुछ नही
उसकी ख्वाहिश इक, वजह हो जायेगी|
.
वक्त की नाराजगी का, सब है अंधेरा
तकदीर की इक दिन, सुबह हो जायेगी|
.
फुरसतों से मिलना भी, न हो पायेगा
जिंदगी ही कुछ इस, तरह हो जायेगी|
.
मुस्कुराकर देख लें, गर वो 'सुरेश' 
हर हाल में अपनी, निबह हो जायेगी|
.

©Suresh Jadav

इश्क से जिस दिन, जिरह हो जायेगी| फिर नींद से अपनी, सुलह हो जायेगी| . बे-सबब जीने से, हासिल कुछ नही उसकी ख्वाहिश इक, वजह हो जायेगी| . वक्त की नाराजगी का, सब है अंधेरा तकदीर की इक दिन, सुबह हो जायेगी| . फुरसतों से मिलना भी, न हो पायेगा जिंदगी ही कुछ इस, तरह हो जायेगी| . मुस्कुराकर देख लें, गर वो 'सुरेश' हर हाल में अपनी, निबह हो जायेगी| . ©Suresh Jadav

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