इश्क से जिस दिन, जिरह हो जायेगी|
फिर नींद से अपनी, सुलह हो जायेगी|
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बे-सबब जीने से, हासिल कुछ नही
उसकी ख्वाहिश इक, वजह हो जायेगी|
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वक्त की नाराजगी का, सब है अंधेरा
तकदीर की इक दिन, सुबह हो जायेगी|
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फुरसतों से मिलना भी, न हो पायेगा
जिंदगी ही कुछ इस, तरह हो जायेगी|
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मुस्कुराकर देख लें, गर वो 'सुरेश'
हर हाल में अपनी, निबह हो जायेगी|
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©Suresh Jadav
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