एक प्यारी सी ग़ज़ल आपकी आँखों पर......
ग़म पीती तो रोती आँखें।
सुख में खुद को धोती आँखें।।
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गुपचुप- गुपचुप करती बातें।
मन का दर्पण होती आँखें।।
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गीत गजल कितने लिखवाती।
सपने बेहद बोती आँखें।।
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चमचम करती सीपी जैसी।
होती अनुपम मोती आँखें।।
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कितने सपने सजते रहते।
जगते जगते सोती आँखें।।
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लगती गहरी झील सरोवर।
फिर क्यों खुद को खोती आँखें।।
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साधना कृष्ण
©साधना कृष्ण
#aashiqui