साधना कृष्ण

साधना कृष्ण

कवयित्री, समीक्षक ,समाजसेवा

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साधना's Live Show

साधना's Live Show

Friday, 16 June | 04:20 pm

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#शायरी #aashiqui  एक प्यारी सी ग़ज़ल आपकी आँखों पर......

ग़म पीती  तो  रोती आँखें।
सुख में खुद को धोती आँखें।।
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गुपचुप-  गुपचुप करती बातें।
मन  का दर्पण   होती  आँखें।।
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गीत गजल कितने लिखवाती।
सपने   बेहद   बोती  आँखें।।
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चमचम  करती  सीपी  जैसी।
होती अनुपम  मोती  आँखें।।
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कितने  सपने  सजते  रहते।
जगते  जगते  सोती  आँखें।।
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लगती  गहरी  झील  सरोवर।
फिर क्यों खुद को खोती आँखें।।
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साधना कृष्ण

©साधना कृष्ण

#aashiqui

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#कविता #SunSet  सुप्रभात!

दोहा

सोने सा आकाश है,धरा हरित है आज।
 माटी का कण कण करे,दानवीर सा काज।।

साधना कृष्ण

©साधना कृष्ण

#SunSet

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1.पंखुड़ी की तरह क्यूँ झरूँ रोज मैं। आपकी याद में क्यूँ मरूँ रोज मैं। 2.ज़िदगी तो जली धूप में ही सदा। रंग सारे तभी तो भरूँ रोज मैं।। 3.लोग कहते यही सच सदा बोलिए। झूठ को साँच कैसे करूंँ रोज मैं।। 4.ये जालिम जमाना छले है सदा। दिल लगी से तभी तो डरूँ रोज मैं।। 5.आपकी बात का है असर ये सनम। सोचकर ही सदा पग धरूँ रोज मैं।। साधना कृष्ण ©साधना कृष्ण

#शायरी #phool  1.पंखुड़ी की तरह क्यूँ झरूँ रोज मैं।
    आपकी याद में क्यूँ  मरूँ रोज मैं।

2.ज़िदगी तो जली धूप में ही सदा।
    रंग सारे तभी तो भरूँ रोज मैं।।

 3.लोग कहते यही सच सदा बोलिए। 
     झूठ को साँच कैसे करूंँ रोज मैं।।

4.ये जालिम जमाना छले है सदा।
    दिल लगी से तभी तो डरूँ रोज मैं।। 

5.आपकी बात का है असर ये सनम।
सोचकर ही सदा पग धरूँ रोज मैं।।

साधना कृष्ण

©साधना कृष्ण

#phool

10 Love

#शायरी #Parchhai  ग़ज़ल

छोड़ मुझे साजन जाता तब।।
दौड़ उधर ही मन जाता तब।।

चाक जिगर लोहे का होता।
उससे लड़ने घन जाता तब।।

हो जाती गर मुझे मोहब्बत।
मैं भी शायर बन जाता तब।।

इन  पैरों  में होती  दुनिया।
दीन के हक में तन जाता तब।।

खत्म  कहानी   मेरी   होती।
घुन की मानिंद सन जाता तब।।

 याद  हमेशा  ही   आती है।
दूर चला  बचपन जाता तब।।

साधना कृष्ण

©साधना कृष्ण

#Parchhai

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#कविता #RajaRaani  मन गढ़ता ही रहा  लाखों मुर्तियाँ
हथेलियों को मिली छुअन ही नहीं।
आँख मुंदे ही होता दरस आपका।
आपके लायक  यह भुवन ही नहीं।

©साधना कृष्ण

#RajaRaani

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