चांद जा रहा था बादलों में छिपा जा रहा था,
रात कि तन्हाइयों में वक्त भी ढला जा रहा था,
जिन्दगी कि शोर ने लूट मचा रखी हो जैसे,
एक मन था जो अलविदा कहते जा रहा था।
माधवी मधु
©madhavi madhu
#alone hindi poetry sad poetry poetry quotes love poetry for her love poetry in hindi