मुस्कान तुझे मजाक समझ तेरे हर सितम पर मैं अब तलक हँसती रही हूँ,
बेपरवाह रह जिंदगी! मुझे यूँ ही हँसने का हुनर अब भी आता है...
मेरे लबों से चिपकी रहती है झूठी मुस्कान कुछ इस तरह,
जैसे सारे जहाँ में इसे बस मुझपर ही प्यार बेसुमार आता है..
दर्द हो जाये हद से ज्यादा तो भी मुझपर जरा भी रहम न करना तू,
ज़ख्म कुरेदना गर तुझे तो मुझे इन्हें सिलना अब भी आता है..
©Lata Sharma सखी
#मुस्कान