मैं लब-ए-शिख़वा को सी लेता हूं.. चंद घड़ियां हैं,

"मैं लब-ए-शिख़वा को सी लेता हूं.. चंद घड़ियां हैं, यूहीं जी लेता हूं.. मग़र एक बार समझ लेता हूं किसी दोस्त का हाथ फ़िर उस हाथ से ज़हर भी पी लेता हूं.. ©Aditya Bhardwaj"

 मैं लब-ए-शिख़वा को सी लेता हूं..
चंद घड़ियां हैं, यूहीं जी लेता हूं..
मग़र एक बार समझ लेता हूं किसी दोस्त का हाथ
फ़िर उस हाथ से ज़हर भी पी लेता हूं..

©Aditya Bhardwaj

मैं लब-ए-शिख़वा को सी लेता हूं.. चंद घड़ियां हैं, यूहीं जी लेता हूं.. मग़र एक बार समझ लेता हूं किसी दोस्त का हाथ फ़िर उस हाथ से ज़हर भी पी लेता हूं.. ©Aditya Bhardwaj

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